पत्रकारिता का स्वरूप बदल रहा, संगोष्ठी में उठे सवाल और समाधान
पत्रकारिता के आयाम बदलें, पर आत्मा नहीं — प्रो. देव नारायण झा
दरभंगा में संगोष्ठी, दिग्गजों ने रखे विचार — पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर गहन मंथन
- पत्रकारिता बदले तो भी उसकी आत्मा और मूल सिद्धांत बने रहें — प्रो. झा
- सोशल मीडिया के दौर में निष्पक्षता, सटीकता और स्वतंत्रता बनी रहे जरूरी
- “रेडियो ने आवाज दी, टीवी ने चेहरा, इंटरनेट ने पंख” — विष्णु झा
RxTv भारत , ब्यूरो दरभंगा –– पत्रकारिता चाहे जितनी आधुनिक क्यों न हो जाए, उसकी आत्मा वही रहनी चाहिए — यह विचार बिहार के प्रतिष्ठित कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. देव नारायण झा ने व्यक्त किए।
वे स्व. राम गोविंद प्रसाद गुप्ता की 90वीं जयंती पर “पत्रकारिता के बदलते आयाम” विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। प्रो. झा ने कहा कि पत्रकारिता निरंतर समय के साथ बदल रही है — प्रिंट से डिजिटल तक का सफर इसकी साक्षी है। परंतु बदलाव के इस दौर में पत्रकारिता के मूल सिद्धांत — सटीकता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बनाए रखना बेहद जरूरी है।
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मुख्य वक्ता डॉ. हरिनारायण सिंह ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक क्रांति ने समाज और समाचार दोनों का स्वरूप बदल दिया है। अब डेटा, विजुअल्स और इंटरैक्टिव ग्राफिक्स पत्रकारिता का हिस्सा बन चुके हैं। वहीं प्रो. रामचंद्र चंद्रेश ने कहा — “सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और अफवाह रोकना सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है।”
नदीम अहमद काज़मी ने मीडिया में बढ़ते कॉरपोरेट दबाव पर चिंता जताई। वरिष्ठ पत्रकार विष्णु कुमार झा ने कहा — “पत्रकारिता का दर्पण बदल गया है, पर उसकी आत्मा वही है।”
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा — “अखबार की खबर इतिहास बनती है, टीवी की खबर सिर्फ सूचना।”
कार्यक्रम में डॉ. समीर कुमार वर्मा, डॉ. अजित कुमार चौधरी, प्रदीप गुप्ता, डॉ. ए.डी.एन. सिंह और प्रमोद कुमार गुप्ता की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
रिपोर्ट – जॉर्नलिस्ट रोहित , ब्यूरो दरभंगा , RxTv भारत
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