150 वर्ष पूरे ‘वन्दे मातरम्’ के LNMU में गूंजा राष्ट्रगीत का सामूहिक स्वर
- ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में भव्य सामूहिक गायन कार्यक्रम।
- कुलसचिव डॉ. दिव्या रानी हांसदा ने गीत के ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व पर प्रकाश डाला।
- शिक्षक-छात्रों ने मिलकर भारत माता को नमन करते हुए एकता और देशभक्ति का संदेश दिया।
कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के विद्यार्थियों के नेतृत्व में हुआ। सभी उपस्थित लोगों ने मिलकर राष्ट्रगीत का सस्वर गायन किया, जिसका हर श्रोत पर गहरा प्रभाव पड़ा।
Tent House • Band Party • Light & Sound • Decoration • Catering • Rooms • Hall • Mithila Aatishwaji (Desi Patake)
📞 8709330883
“7 नवंबर 1876 को बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने ‘बंगदर्शन’ में ‘वन्दे मातरम्’ प्रकाशित किया था, जो बाद में ‘आनंदमठ’ में शामिल हुआ। यह गीत हमारे देश के प्रति श्रद्धा और बलिदान की भावना जगाता है।” — डॉ. दिव्या रानी हांसदा, कुलसचिव
कुलसचिव ने आगे बताया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा। ब्रिटिश काल में इसके गायन पर रोकें भी लगाई गईं, पर जनता के स्नेह और सम्मान ने इसे अमर बना दिया। आज यह गीत गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों में गर्व से गाया जाता है।
यह आयोजन पूरे भारतवर्ष में वर्ष भर आयोजित किए जाने की घोषणा के साथ संपन्न हुआ — उद्देश्य एकता, त्याग और मातृभूमि के प्रति आभार की भावना को जगाना है। कार्यक्रम के अंतिम चरण में जब सभी ने एक साथ ‘वन्दे मातरम्’ का गायन किया, तो वह दृश्य भावनाओं से ओत-प्रोत था और हर दिल में नया जोश भर गया।


