मधुबनी में विद्यापति महोत्सव दो दिवसीय कला उत्सव शुरू
महाकवि विद्यापति को समर्पित ‘विद्यापति कला उत्सव–2025’
मधुबनी में सांस्कृतिक भव्यता के साथ हुआ शुभारंभ
- जिला पदाधिकारी आनंद शर्मा ने किया दो दिवसीय उत्सव का विधिवत उद्घाटन
- पद्मश्री कलाकारों व अकादमिक वक्ताओं की उपस्थिति से कार्यक्रम रोशन
- विद्यापति परिचर्चा में साहित्य, समाज, मिथिला संस्कृति और चित्रकला पर गहन चर्चा
मधुबनी | RxTv BHARAT : महाकवि विद्यापति की स्मृति और मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित दो दिवसीय ‘विद्यापति कला उत्सव–2025’ का भव्य उद्घाटन जिला पदाधिकारी-सह-निदेशक, मिथिला चित्रकला संस्थान आनंद शर्मा द्वारा संस्थान के बहुउद्देश्यीय सभागार में किया गया।
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कार्यक्रम में पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री शिवन पासवान, उपनिदेशक नीतीश कुमार, डा. रानी झा, कनीय आचार्य प्रतीक प्रभाकर, लेखा पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद यादव, विकास कुमार मंडल, रूपा कुमारी तथा प्रमुख वक्ता डा. निक्की प्रियदर्शनी और भैरव लाल दास मंच पर उपस्थित रहे।
🔹 नृत्य, स्तुति और सांस्कृतिक झंकार से कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण नृत्य से हुई, जिसमें सुश्री बिन्दी और मेधा झा की शानदार प्रस्तुति ने सबको मोहित किया। इसके बाद सृष्टि फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत दुर्गा स्तुति ने
सभागार में आध्यात्मिक वातावरण भर दिया।
इसके उपरांत डीएम द्वारा विद्यापति प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। उन्होंने कहा कि विद्यापति भक्ति और श्रृंगार रस के अप्रतिम कवि थे और उनकी रचनाएँ आज भी समाज का मार्गदर्शन करती हैं।
उन्होंने कीर्तिलता, कीर्तिपताका एवं चैतन्य महाप्रभु का उल्लेख करते हुए छात्रों को लगन और परिश्रम के माध्यम से नई ऊँचाइयाँ हासिल करने की प्रेरणा दी।
🔹 विद्यापति परिचर्चा — साहित्य, समाज और दर्शन पर विमर्श
पहली परिचर्चा की वक्ता डा. निक्की प्रियदर्शनी ने सौराठ गांव, मैथिल समाज, वहां की साहित्यिक परंपरा और विद्यापति के सामाजिक दृष्टिकोण पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विद्यापति सिर्फ प्रेम और भक्ति के कवि नहीं थे, बल्कि सामाजिक कुरीतियों — भ्रष्टाचार, बाल विवाह, बेमेल विवाह, पलायन, शिक्षा, कृषि आदि विषयों पर भी उन्होंने प्रभावी लेखन किया।
वे शिव, दुर्गा, काली, राधा-कृष्ण, राम-सीता सहित विभिन्न देवी–देवताओं पर रचित पदावलियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
दूसरे वक्ता भैरव लाल दास ने विद्यापति के वंश, उनके निवास और मिथिला चित्रकला से उनके अप्रत्यक्ष संबंध पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यद्यपि विद्यापति पर साहित्य और गीतों का उल्लेख हर जगह मिलता है, लेकिन चित्रकला से जुड़े उनके प्रभाव पर कम बात होती है। उन्होंने कर्पूरी देवी, कामिनी कश्यप और मृणाल सिंह जैसी कलाकारों का नाम लेते हुए बताया कि विद्यापति पर आधारित चित्रकला आज भी सीमित है। उन्होंने कहा कि साहित्य के बिना मिथिला पेंटिंग अधूरी है, इसलिए छात्रों को साहित्य अध्ययन अवश्य करना चाहिए।
उन्होंने डब्ल्यू.जी. आर्चर और ग्रियर्सन के साहित्य संरक्षण कार्य का भी उल्लेख किया।
🔹 नए कलाकारों की कला प्रस्तुति ने जीता दिल
कार्यक्रम के दूसरे चरण में राजनीति रंजन (मधुबनी) द्वारा मधुर गायन, श्रीमती सलोनी मल्लिक और सृष्टि फाउंडेशन द्वारा नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया।
संस्थान के छात्र–छात्राओं— बिन्दी कुमारी, पूजा कुमारी, काजल कुमारी, सुरभि कुमारी, नेहा कुमारी, अंजली कुमारी, कल्पना कुमारी, मुनकी कुमारी, साक्षी कुमारी, मेधा झा तथा मनोज कुमार झा ने गायन एवं नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुतियाँ दीं।
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